हाफ गर्लफ्रेंड :फिल्म समीक्षा।

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हाफ गर्लफ्रेंड :फिल्म समीक्षा        








पिछले कुछ सालो में चेतन भगत युवाओ में खासे लोकप्रिय हो गये है।उनके लिखे उपन्यास व उनपे बनी फिल्मे उन्हें काफी पसंद आ रही है।






काय पो छे,2 स्टेट्स,3 इडियट्स उनके लिखे उपन्यासों पे ही आधारित थी और सफल भी रही इस कड़ी में अगला नाम जुड़ता है फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड का यह भी उनके बहुचर्चित उन्पन्यास हाफ गर्लफ्रेंड पर आधारित है।


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यह बिहार के लड़के माधव झा(अर्जुन कपूर) और जो अंग्रेजी नही बोल पाता तथा अंग्रेजी से डरता है और  रिया सोमानी (श्रद्धा कपूर) फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली,स्मार्ट और अच्छे अमीर घराने की लड़की की कहानी है। हम भारतीय फिल्मों में हमेशा से देखते आये है की की अंग्रेजी बोलने वाला किरदार सभ्य,पढ़ा लिखा,स्मार्ट व अमीर घर से होता है तो रिया भी इसी ही है और दूसरी और हिंदी में बात करने वाला,गाँव में रहने वाला उतना स्मार्ट और सभ्य व अमीर नही होता तो माधव ऐसा है।दोनों अपनी अपनी सीमाओं में है।



फिल्म में रिया और माधव का मिलन बास्केटबॉल के जरिये होता है।माधव रिया को बास्केटबॉल सिखाता है और दोनों में बातचीत शुरू होने लगती है जब ये सब शुरू होने लगता है तो माधव के आसपास रहने वाले किरदार जैसे उसके दोस्त कहते है की रिया तेरा इस्तेमाल कर रही है खेल रही है तुझसे।अगर गर्लफ्रेंड है तो सामान्य गर्लफ्रेंड की तरह क्यूँ नही रहती।
इन सब सवालो के जवाब मांगने माधव रिया के पास जाता है और पूछता है की वो उसकी कौन है तो रिया कहती है हाफ गर्लफ्रेंड।





फिल्म का कहना है की हाफ गर्लफ्रेंड का मतलब है दोस्त से ज्यादा,गर्लफ्रेंड से कम।लेकिन कंही कंही पे वो खुद इसके नियम तोडती हैं जिससे कन्फ्यूजन होता है।लेकिन फिल्म में उनका किरदार लिखा ही ऐसा गया है शायद लेखक यह दर्शाना चाह रहे थे की प्यार में कुछ कन्फर्म नही किया जा सकता जो होता है वही सही है।





माधव को रिया कई जगह पे किस करती है उसके साथ कमरे में भी जाती है तो माधव सोचता है की रिया भी उसे चाहती है प्यार करती है उससे।लेकिन रिया बार बार उसे दिखाती है की वो उसकी हाफ गर्लफ्रेंड है यह बात माधव को समझ में नही आती न दर्शको को और यही बात फिल्म को कमजोर करती है।

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फिल्म में कई सामाजिक मुद्दों को भी जोड़ा गया है जैसे लड़कियों के लिए गाँव में स्कूल होना,शौचालय वाला दृश्य,रिया के माता पिता की नोंकझोंक,रिया की सिंगिंग का सपना ये सब बातें अच्छी लगती है लेकिन फिल्म में हुई कमियों की भरपाई नही कर पाई।



इस फिल्म के निर्देशक मोहित सूरी है जो इमोशनल और रोमांटिक फिल्मो के महारथी है।कहानी की कमियों को उन्होंने अपने उम्दा निर्देशन व से ढक दिया है।उनका प्रस्तुतीकरण कमाल का है।फिल्म को।मोहित कभी 2 महीने पहले ले जाते हैं तो कभी दो साल लेकिन फिल्म पे उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी की कंही भी फिल्म उनके हाथ से छूटी नही।इतना फ्लैशबैक होने के बावजूद दर्शको को कोई भ्रम नही होता और वो फिल्म से जुड़ से जाते है।





आशिकी 2 और एक विलेन जैसी सुपरहिट फिल्मे बनाने वाले मोहित सूरी की फिल्मो में संगीत आपको हमेशा अच्छा मिलेगा उनकी फिल्मो में संगीत का बहुत ध्यान दिया जाता है।वो जानते हैं की दर्शक क्या पसंद करेंगे यंह भी उन्होंने संगीत का अच्छा इस्तेमाल किया है 'बारिश' और 'मैं फिर भी तुमको चाहूँगा' पहले से ही हिट है और ख़ास कर फिल्म के इमोशनल सीन कमाल के है।श्रद्धा इससे पहले भी मोहित के साथ में 2 फिल्मे कर चुकी है और उन्होंने इनकीं अभिनय छमता को समझ गये है इसलिए यहाँ भी उन्होंने इनसे अच्छा काम लिया है।


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इमोशनल सीन में श्रद्धा अपने चहरे पे कमाल के भाव लाती है इसीलिए कुछ दृश्यों में संवाद भले कोई दूसरा किरदार बोल रहा हो लेकिन चेहरा श्रद्धा का दिखाया गया है।इन इमोशनल सीन में श्रद्धा का अभिनय देखने लायक है।





अर्जुन कपूर की दाढ़ी को फिल्म के कंही छोटी तो कहीं बड़ी दिखाया गया है इसपे ध्यान देना चाहिए था क्यूंकि ये छोटी छोटी बातें फिल्म की विश्वनीयता को कम करती है।अर्जुन ने कुछ सीन अच्छे किये है लेकिन कुछ सीन में वो चहरे पे वो भाव नही ल पाते जो उस अवस्था की मांग है।



फिल्म के गाने पहले से ही हिट है।वीएफ़एक्स थोड़ा खराब है।सिनेमाटोग्राफी अच्छी है।म्यूजिक भी ठीक है।

कुल मिलकर हाफ गर्लफ्रेंड फुल मनोरंजन करती है और इमोशनल और रोमांटिक ड्रामा पसंद करने वालो को ये फिल्म देखनी ही चाहिए।





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