ट्यूबलाइट:फिल्म समीक्षा

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फिल्म  - ट्यूबलाइट

रेटिंग - 3.5/5

सर्टिफिकेट - U

अवधि - 2 घंटे 16 मिनट

जॉनर - ड्रामा

बैनर -सलमान खान फ़िल्म्स

संगीत - प्रीतम

डायरेक्टर - कबीर खान

कलाकार - सलमान खान,सोहेल खान,जू-जू,ओमपुरी,जीशान अय्यूब,छोटा माटिन (रे टांगू)शाहरुख़ खान (कैमियो)।






आज भारत के सबसे बड़े सुपरस्टार सलमान खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'ट्यूबलाइट' रिलीज़ हो चुकी है।और उनके फैंस जो बेसब्री से इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे,सिनेमाहाल की तरफ कूच कर चुके है।तो आइये दोस्तों आपको बताते है कैसी है आपके चेहेते सुपरस्टार की फिल्म 'ट्यूबलाइट'।




                                     कहानी




 वैसे ट्यूबलाइट फिल्म अमेरिकी फिल्म 'लिटिल बॉय' से प्रेरित है लेकिन निर्माता, निर्देशकों ने ईमानदारी दिखाते हुए सिर्फ प्रेरणा ही ली है उसकी नक़ल नही की।इसका ट्यूबलाइट नाम इसलिए रखा गया है क्यूंकि फिल्म के मुख्य किरदार लक्ष्मण सिंह बिष्ट (सलमान खान) को कोई बात जल्दी समझ में नही आती धीरे-धीरे करके समझ में आती है जैसे ट्यूबलाईट ऑन करने के बाद धीरे धीरे चालू होता है इसीलिए सब उसे ट्यूबलाइट कहके चिढ़ाते है।इस फिल्म को निर्देशित कबीर खान ने किया है जो इससे पहले सलमान खान के साथ 'एक था टाइगर' और 'बजरंगी भाईजान' जैसी सफल फिल्में दे चुके है.बजरंगी भाईजान में वह हमें पकिस्तान ले गये थे इस बार उन्होंने चीन की यात्रा करवाई है।



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फिल्म की कहानी 1962 में सेट है जब भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था।इस फिल्म में दो भाइयो के प्यार व स्नेह को दिखाया गया है।फिल्म की शुरुआत में ही (लक्ष्मण)सलमान खान और भरत(सुहैल खान) के मजबूर रिश्ते को दिखाया जाता है ।दोनों की केमेस्ट्री देखने लायक है और हो भी क्यूं ना आखिर असल जिंदगी में भी दोंनो का खून का रिश्ता है।दोनों भाइयो के बीच में बहुत भाईचारा दिखाया गया है।फिल्म में ट्विस्ट तो तब आता है जब अचानक भारत और चीन में युद्ध छिड़ जाता है।सेना की घोषणा पर भरत सेना इंडियन आर्मी में शामिल हो जाता है और युद्ध में लड़ने चला जाता है और लक्ष्मण अपने सच्चे व सबसे करीबी दोस्त से दूर और अकेला हो जाता है।


लक्ष्मण अब उदास रहने लगता है तो गांव के ही बन्ने चाचा(ओमपुरी)जिनके यहाँ भरत नौकरी करता था लक्ष्मण को गांधी जी के रास्ते पे चलना सिखाते है उसे सहारा देते है बन्ने चाचा उसे समझाते हैं की दुश्मन को भी दोस्त बनाओ ऐसा काम करो।बन्ने चाचा की बातो से प्रभावित होकर लक्ष्मण जगतपुर के ही रहने वाली एक लड़की ली लिंग (झू-झू) जो अपने बेटे छोटे माटिन (गुवो) के साथ रहती है चीनी मूल की है लेकिन अब भारतीय है से दोस्ती कर लेता ही और गाँव वाले उसे बुरा व देशद्रोही समझ लेते है क्यूंकि झु-झु के पुर्वज चीन से के है।लेकिन 
लक्ष्मण हमेशा हर मुसीबत में उसका साथ ड
देता है ख़ास कर उसका बेटा मार्टिन उसे बहुत प्रिय है।इसी बीच लक्ष्मण को पता चलता ही की उसके भाई व उसकी टोली को चीन में बंधक बना लिया गया है।जिससे वह परेशान हो जाता है।लक्ष्मण को अपने यकीन के ऊपर बहुत यकीन है उसे लगता है की अगर हम यकीन करले तो पहाड़ को भी अपनी जगह से हिला सकते है इसी यकीन से वो अपने भाई को वापस लाने की ठान लेता है।क्या लक्ष्मण भरत को वापस अपने मुल्क ला पायेगा? कैसे?क्या? इस सब का जवाब आपको सिनेमाहाल में में मिलेगा।और हाँ एक बात और की सब लोग फिल्म में लक्ष्मण को ट्यूबलाइट कहके बुलाते है लेकिन भरत उन्हें 'कप्तान' कहके  पुकारता हैं।






                                    एक्टिंग -



एक्टिंग- सलमान की एक्टिंग दिन-पर-दिन निखरती जा रही है। इस फिल्म में भी उन्होंने कमाल की एक्टिंग की है वह इतने भोले और मासूम लगे हैं कि दर्शकों को उनसे प्यार आ जाता है उनके पास उनको इन रोल में पसंद करेंगे सोहेल खान ने भी बेहतरीन अभिनय किया है ओम ओम पुरी तो है ही मजे हुए कलाकार, छोटा मार्टिन व अय्यूब  में भी अच्छा काम किया है। अभिनय टेस्ट में फिल्म पूरी तरह पास है।





                                  डायरेक्शन




  डायरेक्शन- फिल्म का डायरेक्शन न्यूयॉर्क व बजरंगी भाईजान फ़ेम कबीर खान ने किया है।उनको इसी फिल्मे बनाने का अच्छा अनुभव हो गया है।वह फिल्म में कमर्शियल व सार्थक सिनेमा में बढ़िया संतुलन साधते हैं।डायरेक्शन के लिहाज से ट्यूबलाइट को कबीर की अब तक की सबसे अच्छी फिल्म कहा जा सकता है।इसमें उनकी मेहनत साफ़ दिखती है।                    


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                                       संगीत




 संगीत- फिल्म का संगीत प्रीतम ने दिया है।जो भारत में सबसे अच्छे म्यूजिक डायरेक्टर में शीर्ष स्थान पे है।फिल्म के गाने स्क्रिप्ट,कहानी और परिस्तिथियों पे सटीक बैठते है।खासकर रेडियो सॉंग आपको झूमने पर मजबूर कर देगा।






                                       क्यों देखें 






क्यूँ देखें- इस फिल्म को सलमान की लाजवाब एक्टिंग,कबीर खान के बेहतरीन डायरेक्शन,दो भाइयो के बीच का प्यार और स्नेह,व दो देशो के इमोशनल जर्नी के लिए देखि जा सकती है।और फिल्म एक सन्देश भी देती है की हर मामले का सुलह लड़ाई ही नही होता।यह फिल्म आपकी ईद को और मीठी कर देगी।

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